दोस्तों से भी मिलनेसे डरता हूं
के उनकी दोस्तीमे कही
मेरी बेरुखी ना आए खुलकर
मुरझाए हुए साये अभी
लगते है अपनेसे,
सन्नाटोंसे ये लगाव और सुरोंसे दुष्मनी
धुंधली नजरको
अब उजाला नही बरदाश्त
ये कैसे आसार है
सब कुछ होते हुए
जैसे, बचा कुछ भी नही
मैफीलमे ये सुनापन
दिल, जैसे एक अंधेरा कमरा
न जाने अब इंतजार
कीस घडी का है
जो दे सुकुन जिंदगी भरका
या दे सदियोंका सूना सफर
के उनकी दोस्तीमे कही
मेरी बेरुखी ना आए खुलकर
मुरझाए हुए साये अभी
लगते है अपनेसे,
सन्नाटोंसे ये लगाव और सुरोंसे दुष्मनी
धुंधली नजरको
अब उजाला नही बरदाश्त
ये कैसे आसार है
सब कुछ होते हुए
जैसे, बचा कुछ भी नही
मैफीलमे ये सुनापन
दिल, जैसे एक अंधेरा कमरा
न जाने अब इंतजार
कीस घडी का है
जो दे सुकुन जिंदगी भरका
या दे सदियोंका सूना सफर